बुढ़ापे की ओर झुका एक जवान मन
प्रिय मित्र, मुझे कभी पता ही नहीं चला कि मैं कब जवान हो गया, जबकि मैं बचपन से सीधा बूढ़ा हो जाना चाहता था। मैं एक बाईस साल का नौजवान हूं, जिसे हमेशा इस
प्रिय मित्र, मुझे कभी पता ही नहीं चला कि मैं कब जवान हो गया, जबकि मैं बचपन से सीधा बूढ़ा हो जाना चाहता था। मैं एक बाईस साल का नौजवान हूं, जिसे हमेशा इस
नमस्कार सर उम्मीद करता हूं आप बेहतर होंगे। कल "आधुनिक हिंदी साहित्य की विशेषताएं" प्रश्नपत्र की परीक्षा थी, जिनमें मुक्तिबोध से संबं
प्रिय दोस्त, यह बहुत दुखद है ,मुझे सब याद आता रहता है। तुम्हें याद है हम एक रोज यूँही बैठे हुए थे? दरअसल, उस वक्त हम अपनी पसंद-नापसंद पर बात
प्रिय लक्की, पत्र के लिए धन्यवाद आप अपनी बात कल स्पष्ट तौर पर कह पाए थे। सौंदर्य अनुभूति और व्यक्तित्वांतरण के बीच रिश्ता है। सौंदर्
नमस्कार , उम्मीद है आप अच्छे होंगे । आज जब मैं आपसे मुक्तिबोध के सौंदर्य बोध और व्यक्तितावंतरण पर बात कर रहा था तब मुझे लगा कि जो मैं कहना चाहता
प्रिय मित्र मैं मानता हूं मै बहुत दिनों बाद तुमको पत्र लिख रहा हूं लेकिन यह कोई ऐसी बात नहीं है जिसके लिए मुझे तुमसे माफ़ी मांगनी चाहि
प्रिय दोस्त खूब ढ़ेर दिन हुए तुमसे बात किए हुए, अभी अभी एक किताब खत्म करके उठा हूं, पर वो कही किसी जगह भीतर रह गई है। कथानक बहुत जोरदा
मेरी दोस्त... कैसी हों,तुमने मुझे कहा था हमेशा विचारशील रहो, मैं कोशिश करता हूं। मुझे लगता है हर एक चीज लिख दी जानी चाहिए लेकिन फिर सोचता
मैं संबोधनो को लेकर हमेशा असमंजस में रहा हूं मुझे तब भी नहीं पता था तुम्हे क्या कहकर संबोधित करू और आज भी ऐसा ही है मेरे खयाल से यही सही रहेगा। प्रिय
पत्रालय पर आपका स्वागत है। दुनियां में दो लोगों की बातचीत से ज्यादा खूबसूरत कुछ नही हो सकता। पत्रालय पत्रों के माध्यम से हुईं बातचीत का हिस्